आज के दिन में क्या विशेष है , अगर यह लिखने बैठूं , तो सबसे पहले यह
कि
यह लाक हो गया ब्लॉग खुल पड़ा है आज . ( बेशक नेहा की सहायता से )
अभी तक हिमालय ट्रेकिंग की बात पूरी नहीं लिख पाई हूँ ,
हालाँकि वह यात्रा हर दिन याद रहती है , वह अनुभव , वह गहरी थकन ,
वह समय मेरे साथ चला है - डेनमार्क में , इटली और जर्मनी में - हर जगह . भारत लौट आने पर भी वह अनुभूति हर दिन याद आती है .
हिमालय देवता है.... . क्या इसलिए ?
यह तो एक कारण है ही , यह भी कारण है कि मैं स्वयं को विश्वाश दिलाना चाहती हूँ कि उतनी बड़ी यात्रा मैंने की है .
कि
यह लाक हो गया ब्लॉग खुल पड़ा है आज . ( बेशक नेहा की सहायता से )
अभी तक हिमालय ट्रेकिंग की बात पूरी नहीं लिख पाई हूँ ,
हालाँकि वह यात्रा हर दिन याद रहती है , वह अनुभव , वह गहरी थकन ,
वह समय मेरे साथ चला है - डेनमार्क में , इटली और जर्मनी में - हर जगह . भारत लौट आने पर भी वह अनुभूति हर दिन याद आती है .
हिमालय देवता है.... . क्या इसलिए ?
यह तो एक कारण है ही , यह भी कारण है कि मैं स्वयं को विश्वाश दिलाना चाहती हूँ कि उतनी बड़ी यात्रा मैंने की है .
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