Monday, April 13, 2020

वेदान्त का पन्ना

वेदान्त  का पन्ना 

चित्त  : कुछ  बिम्ब 

दिन प्रतिदिन की  भागदौड़  के बीच  कई बार  ऐसा  होता  है कि  अच्छे  धुले   कलफदार  पकड़ें से सजा  हमारा व्यक्ति त्व  कांति  बिखेरता  दीख पड़ता  है , शरीर  भी तरोताजा  , क्लांत  नहीं  .

लेकिन चित्त  अशांत  हो  उठता  है , किसी भी कार्य को  करने की  इच्छा  नहीं होती  . नकार  भरी भावनाओं  के रेलें दिमाग़  में  चले आते हैं  और अनमनी  सी मनःस्थिति  में  हम कह उठते हैं  कि  _ "    आज चित्त  अच्छा  नहीं  है  "      या   "     मेरा चित्त  खिन्न  है    "   वगैरह,  वगैरह  .

ऐसे में  किसी  प्रबुद्ध  व्यक्ति  के मन में  सहज रूप से एक प्रश्न  आकार  लेता है    ...   कि चित्त  वास्तव में  है  क्या  ? कैसा  । वह चित्त  ?